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12 ज्योतिर्लिंग के नाम और कहाँ स्थित है ?

भगवान शिव देवों के देव महादेव हैं। वैसे तो देशभर में भगवान शिव के कई प्रसिद्ध मंदिर और शिवालय हैं, लेकिन भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों का अपना अलग ही महत्व है। पुराणों और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इन 12 स्थानों पर भगवान भोलेनाथ, शिवलिंग में ज्योति के रूप में विद्यमान हैं। यही कारण है कि इन्हें ज्योतिर्लिंग कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि इन ज्योतिर्लिंगों के दर्शन मात्र से ही श्रद्धालुओं के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। आइये जानते हैं इन 12 ज्योतिर्लिंगों के नाम और ये कहाँ स्थित है ?

12 ज्योतिर्लिंग के नाम और कहाँ स्थित है ?

द्वादश ज्योतिर्लिंग स्तोत्र के माध्यम से 12 ज्योतिर्लिंग के नाम आसानी से जान सकते है।

सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम् ।
उज्जयिन्यां महाकालम्ॐकारममलेश्वरम् ॥
परल्यां वैद्यनाथं च डाकिन्यां भीमाशंकरम् ।
सेतुबंधे तु रामेशं नागेशं दारुकावने ॥
वाराणस्यां तु विश्वेशं त्र्यंबकं गौतमीतटे ।
हिमालये तु केदारम् घुश्मेशं च शिवालये ॥
एतानि ज्योतिर्लिङ्गानि सायं प्रातः पठेन्नरः ।
सप्तजन्मकृतं पापं स्मरणेन विनश्यति ॥

सोमनाथ ज्योतिर्लिंग, सौराष्ट्र गुजरात

प्रथम ज्योतिर्लिंग सोमनाथ के नाम से जाना जाता है यह गुजरात के सौराष्ट्र में स्थित है। जब प्रजापति दक्ष द्वारा चंद्रदेव को क्षय होने क श्राप दिया गया, उस समय चंद्र देव ने शिवजी की आराधना करके इस श्राप से मुक्ति पायी थी। पुराणों के अनुसार इस ज्योतिर्लिंग की स्थापना स्वयं चंद्र देव ने की थी। उन्हीं के नाम पर इस ज्योतिर्लिंग का नाम सोमनाथ हुआ।

मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग, आंध्र प्रदेश

मल्लिकार्जुन नामक ज्योतिर्लिंग आंध्रप्रदेश में कृष्णा नदी के किनारे श्रीशैल पर्वत पर स्थित है। मल्लिका माता पार्वती का नाम है, जबकि अर्जुन भगवान शंकर को कहा जाता है। इसे दक्षिण का कैलाश भी कहते हैं और इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन मात्र से ही कष्ट दूर हो जाते हैं।

महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग, मध्य प्रदेश

महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग 12 ज्योतिर्लिंगों में से तीसरे स्थान पर है। यह मध्यप्रदेश के उज्जैन जिले में क्षिप्रा नदी के तट पर स्थित है। महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग एकमात्र दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग है जहां प्रतिदिन होने वाली भस्म आरती विश्व भर में प्रसिद्ध है।

ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग, मध्य प्रदेश

ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मध्‍यप्रदेश के मालवा क्षेत्र में स्थित है। यह माँ नर्मदा के किनारे, पर्वत पर स्थित है। मान्‍यता के अनुसार तीर्थयात्री चाहे कितने ही तीर्थ भ्रमण कर ले किंतु जब तक वह ओंकारेश्वर में सभी तीर्थों का जल लाकर यहां नहीं चढ़ाता उसके सारे तीर्थ अधूरे ही रहते हैं।

केदारनाथ ज्योतिर्लिंग, उत्तराखंड

केदारनाथ ज्योतिर्लिंग उत्तराखंड में अलखनंदा और मंदाकिनी नदियों के तट पर केदार नाम की चोटी पर स्थित है। यहां शिवलिंग का आकार बैल की पीठ के समान त्रिकोणाकार है। पौराणिक कथाओं के अनुसार इस ज्योतिर्लिंग के प्राचीन मंदिर का निर्माण महाभारत का युद्ध समाप्त होने के बाद कराया गया था। मान्‍यता है कि भगवान केदारनाथ के दर्शन किए बिना बद्रीनाथ की यात्रा अधूरी और निष्‍फल है।

भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग, महाराष्ट्र

भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग, महाराष्ट्र के पुणे से लगभग 110 किमी दूर सहाद्रि नामक पर्वत पर स्थित है। 12 प्रमुख ज्योतिर्लिगों में भीमाशंकर का स्थान छठा है। यह ज्योतिर्लिंग मोटेश्वर महादेव के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने मात्र से व्यक्ति को समस्त दुखों से छुटकारा मिल जाता है।

काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग, उत्तर प्रदेश

उत्तर प्रदेश के वाराणसी शहर जिसे धर्म नगरी काशी के नाम से भी जाना जाता है। वहाँ गंगा नदी के तट पर स्थित है बाबा विश्‍वनाथ का मंदिर जिसे काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग के नाम से जाना जाता है। ऐसी मान्‍यता है कि कैलाश छोड़कर भगवान शिव ने यहीं अपना स्थाई निवास बनाया था।

त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग, महाराष्ट्र

त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग महाराष्‍ट्र के नासिक से 30 किलोमीटर दूर पश्चिम में स्थित है। गोदावरी नदी के किनारे स्थित यह मंदिर काले पत्थरों से बना है। त्र्यम्बकेश्वर मंदिर ब्रह्मगिरी, निलागिरि और कालगिरी नामक तीन पहाड़ियों के बीच स्थित है। इस मंदिर में तीन लिंग है जो ब्रह्मा विष्णु और महेश का प्रतिनिधित्व करती हैं।

वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग, झारखंड

वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग झारखंड के देवघर में स्थित है। यहां के मंदिर को वैद्यनाथधाम और बैजनाथ धाम के नाम से भी जाना जाता है। पुराणों के अनुसार जब रावण ने तप के बल से भगवान शिव को लंका ले जाने की कोशिश की, तब शिव जी ने शर्त रखी कि जहां पर भी शिवलिंग रखोगे यही मैं वहीं स्थापित हो जाऊंगा। कैलाश से लंका जाते समय व्यवधान आ जाने से शर्त के अनुसार शिव जी देवघर में स्थापित हो गए।

नागेश्वर ज्योतिर्लिंग, गुजरात

नागेश्‍वर मंदिर गुजरात में बड़ौदा क्षेत्र में गोमती द्वारका के करीब स्थित है। धार्मिक पुराणों में भगवान शिव को नागों का देवता बताया गया है। नागेश्वर का अर्थ होता है नागों के ईश्वर। भगवान शिव की इच्छा अनुसार ही इस ज्योतिर्लिंग का नाम नागेश्वर रखा गया है।

रामेश्वर ज्योतिर्लिंग, तमिलनाडु

भगवान शिव का 11वां ज्योतिर्लिंग तमिलनाडु के रामनाथम नामक स्थान में हैं। ऐसी मान्‍यता है कि रावण की लंका पर चढ़ाई से पहले भगवान राम ने जिस शिवलिंग की स्थापना की थी। रामेश्वर के दो अर्थ होते है : १ जो राम के ईश्वर हैं वही रामेश्वरम हैं, २ जिसके ईश्वर राम हैं वही रामेश्वरम है।

घृष्‍णेश्‍वर ज्योतिर्लिंग, महाराष्ट्र

घृष्‍णेश्‍वर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के संभाजीनगर के समीप दौलताबाद के पास स्थित है। भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से यह अंतिम ज्योतिर्लिंग है। इस ज्योतिर्लिंग को घुश्मेश्वर के नाम से भी जाना जाता है। इस मंदिर का निर्माण देवी अहिल्याबाई होल्कर ने करवाया था।

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