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यदि बच्चे को हैं बुखार तो पेरेंट्स को अपनाना चाहिए यह कारगर तरीकें

बच्चों के बीमार होने पर अक्सर माता-पिता चिंतित हो जाते हैं। हर माता-पिता की चिंता उसके बच्चे के बीमार होने पर जायज है। बच्चों में बुखार होना आम बात है क्योंकि उनका इम्यून सिस्टम इतना मजबूत नहीं होता है। आमतौर पर बच्चों को बुखार मौसम के बदलने पर होता है, बहुत बार ऐसा भी होता है की बच्चों को किसी संक्रमण से बचाने के लिए बुखार आ जाता है। इसका जीता-जागता उदाहरण है कोविड की वैक्सीन थी, वैक्सीन लगाने के बाद बहुत से बच्चों को बुखार आया परन्तु उनका इम्यून सिस्टम मजबूत हो गया था। यदि बच्चे की उम्र तीन साल है तो आप उसे बुखार आने पर कई तरीकों का उपयोग कर सकते हैं, आइये आज हम आपको बताएंगे की 3 साल के बच्चे को बुखार आने पर क्या करें?

3 साल के बच्चे को बुखार आने पर क्या करें?

थर्मामीटर का इस्तेमाल

अगर आपके बच्चे का शरीर आपको गर्म लगे तो आप थर्मामीटर का इस्तेमाल कर सकते हैं। इससे आपको उसके शरीर के तापमान के बारे में पता चलता रहेगा। इसे आप दिनभर नोट करते रहीं। ऐसा करने से आप डॉक्टर से बात करते समय सही परामर्श ले पाएंगे।

चिकित्सक से परामर्श

बदलते मौसम में बच्चों में बुखार सामान्य है। अगर यह बुखार हद से ज्यादा बढ़ने लगे तो किसी न किसी चिकित्सक से परामर्श अवश्य लें। अगर फिर भी कोई असर न दिखाई दे तो पास के किसी क्लिनिक में बच्चे को जल्द से जल्द दिखाए।

आराम है जरुरी

कई बार शरीर का तापमान गर्म कपड़ों के कारण भी बढ़ जाता है। इसके लिए आप बच्चे का हाथ मुँह धुलवाकर उसे पतले कपड़े पहनाएं। इसके बाद उसे आराम करने दें। ऐसा करने से हो सकता है की उसके शरीर का तापमान सामान्य हो जाये।

खानपान पर ध्यान

बदलते मौसम में बच्चों के खानपान पर ध्यान देना आवश्यक होता है। अगर आपके बच्चे को बुखार है तो उसे जबरदस्ती खाने को न कहें। आप उसे सूप, जूस, दाल का पानी ही दें। इससे बच्चा बेहतर महसूस करेगा और आराम कर पायेगा।

स्पंज बाथ का इस्तेमाल

बच्चे के बढ़ते बुखार के लिए आप स्पंज बाथ का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके लिए आप नार्मल पानी में टॉवल डुबाकर निचोड़ें और उससे बच्चे का शरीर पोछें। ऐसा करने से उसके शरीर का तापमान सामान्य हो सकता है और बुखार में भी आराम लग सकता है।

कम्फर्ट का ध्यान रखें

कई बार बच्चे का बुखार देख माता-पिता उसे ठीक करने के लिए पंखा, एसी बंद कर देते हैं और उसे ढे़र सारे कपड़ा पहना देते हैं। माता-पिता को ऐसा न करते हुवे बच्चे के कम्फर्ट का ध्यान रखना चाहिए। उसे नार्मल कपड़े पहनाकर पंखे को धीमा कर देना चाहिए।

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