अमावस्या के दिन धार्मिक दृष्टि से बहुत अधिक महत्व होते है। इस दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण किया जाता है। तर्पण करने से इंसान पितृ दोष से मुक्त हो जाता है। इस दिन पितरों का श्राद्ध और तर्पण करना चाहिए। इस दिन दान करने से पितृ प्रसन्न होते हैं और हमे पुण्य प्राप्त होता है। इस दिन काले कौवे को भी भोजन कराना चाहिए। इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए। यह सब करने के साथ ही परिवार में शांति के लिए श्रीमद्भागवत गीता का पाठ करना चाहिए। इस दिन गौशाला में दान देने की भी मान्यता है। इस दिन हमे गौशाला जाकर गायों की सेवा करनी चाहिए तथा उन्हें भोजन कराना चाहिए। आइये आज हम आपको बताएंगे की अमावस्या के दिन सिंदूर लगाना चाहिए कि नहीं?
अमावस्या के दिन सिंदूर लगाना चाहिए कि नहीं?
धार्मिक मान्यता के अनुसार महिलाओं को इस दिन प्रातः काल में उठकर स्नान करने के बाद व्रत का संकल्प लेना चाहिए तथा सिंदूर लगाना चाहिए। इससे पूजा विधि की शुरुआत होती है। यह करने के पश्चात महिला को भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। क्षेत्रों के अनुसार इस पूरे दिन व्रत करने के पश्चात रात्रि के समय फलहारी खाया जा सकता है।
सिंदूर लगाना पतिव्रता महिलाओं के श्रृंगार का हिस्सा होता है। यह धार्मिक मान्यताओं का प्रतीक भी है। सिंदूर लगाने से पति की उम्र बढ़ती है और इसके साथ ही दाम्पत्य जीवन में सुख समृद्धि रहती है।
सिंदूर लगाना एक आदत, सांस्कृतिक व्यवस्था और धार्मिक प्रथा है जो भारतीय समाज में कई वर्षों से प्रतिष्ठित है। यह एक प्रथा है जिसके पीछे समृद्धि, सुख और प्रेम का विश्वास है। यह तो आप अभी तक जान ही चुके हैं की सिंदूर एक लाल रंग का उत्पाद है जो स्त्रियों के मांग में लगाया जाता है। सिंदूर का शादी और पत्नी-धर्म के प्रतीक के रूप में भी उपयोग होता है। इसे सुंदरता, सौभाग्य, और प्रेम का प्रतीक माना जाता है। यह एक रिश्ते को दर्शाता है कि वह पति-धर्म का पालन करती है। सिंदूर के व्यापक रूप में इसके अंदर भक्ति और श्रद्धा के महत्वपूर्ण तत्व होते हैं।
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