अर्जुन की छाल का उपयोग भारतीय आयुर्वेद में एक पुराना तरीका है। अनेक अध्ययनों में इसके लाभों की जांच की गई है। अर्जुन के छाल में विशेष रूप से फ्लावनॉइड्स, फाईटोस्टेरोल, फेनॉलिक एसिड, अल्कालाइड और टैनिन होते हैं। यह एक शक्तिशाली एंटीऑक्सिडेंट, एंटीइंफ्लेमेट्रीक और कार्डियोप्रोटेक्टिव आयुर्वेदिक दवा के रूप में उपयोगी होता है। अनुसंधान के अनुसार अर्जुन की छाल के फायदे ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने में मदद करते हैं। यह हृदय रोगों के लिए एक लाभदायक दवा भी होता है, जैसे कि एक अध्ययन में दिखाया गया है जहाँ इसका उपयोग हृदय संबंधी रोगों के लिए भी होता है। आज हम जानेंगे कि अर्जुन की छाल की तासीर गर्म होती है या ठंडी?
अर्जुन की छाल की तासीर गर्म होती है या ठंडी?
अर्जुन की छाल की तासीर ठंडी होती है। इससे पेट साफ होता है। इसके रोजाना सेवन से मुँह में छाले नहीं होते है। यह खून को पतला करने में भी सहायक है। इसके सेवन से है ब्लड प्रेशर की समस्या नहीं होती है।
अर्जुन के पेड़ में कसुआरिनिन नाम का रासायनिक घटक पाया जाता है। इसके सेवन से शरीर में कैंसर की कोशिकाएं फ़ैल नहीं पाती है। कैंसर कोशिकाओं के विकास को रोकने में अर्जुन की छाल बड़े काम की मानी जाती है। स्तन कैंसर से बचने के लिए आप अर्जुन की छाल को गर्म दूध में पारीक पीसकर उसका सेवन कर सकते हैं।
जिन लोगों को थोड़ा सा चलने पर सांस फूलती है, उन्हें अर्जुन की छाल का सेवन अवश्य करना चाहिए। अर्जुन की छाल धमनियों में जमने वाले कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लोसराइड को कम करती है। अर्जुन की छाल का सेवन दिल के रोगियों को अवश्य करना चाहिए। अर्जुन की छाल ऐसे मरीजों के लिए रामबाण औषधि है।
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