माँ का दूध बच्चे के लिए बाह्य भोजन से कई गुना बढ़कर फायदेमंद होता है। यह दूध पोषक तत्वों को पचाने और उनके अवशोषण में भी मदद करता है। यह दूध बच्चों को छाती में संक्रमण या दस्त के कारण अस्पताल में भर्ती होने की संभावना को कम करता है। इसके अलावा यह दूध बच्चे की प्रतिरक्षा को बढ़ाने का काम भी करता है। यह बच्चे के लिए पोषण तत्वों का आदर्श स्त्रोत है। इसमें मां से एंटीबॉडी और जीवित प्रतिरक्षा कोशिकाएं, एंजाइम और अन्य मूल्यवान पदार्थ मिलते हैं। यह पर्यावरण के अनुकूल होता है। इससे शिशु सुरक्षित महसूस करता है। स्तनपान कराने से कैलोरी जलती है और गर्भाशय सामान्य आकार में होता है। इतने सारे फायदों के बाद एक समय आता है जब बच्चे को स्तनपान कराना बंद करना पड़ता है। आज हम आपको बताएंगे कि बच्चे को ऊपर का दूध कैसे पिलाना चाहिए ?
बच्चे को ऊपर का दूध कैसे पिलाना चाहिए ?
- बच्चे को दूध पिलाने से पूर्व अपने हाथों को अच्छे से धोलें।
- बच्चे के सिर और गर्दन को अपनी कोहनी पर टिकाकर उसे अपने करीब ले आएं। सिर को थोड़ा ऊपर रखने की इस मुद्रा में शिशु आमतौर पर सांस लेने और निगलने में सबसे अधिक आरामदायक होते हैं।
- दूध पिलाने के दौरान निप्पल को दूध से भरा रखें ताकि बोतल थोड़ी झुकी रहे और आपका शिशु बहुत अधिक हवा न निगल ले।
- अपने शिशु को दूध पिलाने वाली बोतल को देखने दें और पश्चात उसके होंठों को निप्पल से छुएं। वह प्रतिक्रिया करेगा और अपना मुंह खोलेगा, फिर आप निप्पल को उसके मुंह के अंदर कर दें।
- जब बच्चा दूध पीना बंद करदे तो निप्पल को उसके मुँह से निकालें। अगर बच्चे को भूख लगी होगी तो वह निप्पल को अंदर की और खींचेगा। अगर बच्चा निप्पल छोड़ दे तो उसे डकार दिलवाएं। उसको डकार आने के बाद फिर से कोशिश करें की वह निप्पल मुँह में ले। अगर बच्चा ऐसा नहीं करता है मतलब उसका पेट भर गया है।
यह भी पढ़ें: