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बच्चे कहना नहीं मानते तो क्या करें?

बच्चे बहुत ही जिद्दी होते हैं वह कई बार अपने माता-पिता की ही नहीं सुनते हैं। और कई बच्चे तो ऐसे होते हैं जो कभी भी कहना नहीं मानते हैं। अगर आपके बच्चे भी कहना नहीं मानते हैं तो आप कई तरीको को अपना कर अपने बच्चे की इस कहना न मानने की आदत को बदल सकते हैं। तो आइये जानते हैं कि बच्चे कहना नहीं मानते तो क्या करें?

बच्चे का जिद्दी होना आम बात है, हर घर के बच्चे जिद्दी होते हैं कुछ ज्यादा तो कुछ कम। हर पेरेंट्स यह चाहते हैं कि उनका बच्चा संस्कारी हो और उनकी हर बात माने, पर बच्चे को यह सब सीखाना आसान नहीं होता है। आपको बचपन से ही बच्चे के व्यवहार को जानना होता है तथा अपने तथा उसके व्यवहार में कई तरह के परिवर्तन करने होते हैं और कई बातों का ध्यान रखना होता है तो आइये जानते हैं इन बातों के बारे में।

बच्चे कहना नहीं मानते तो क्या करें

दूर रह कर काम न बताएं

बच्चों को किसी भी प्रकार का काम बताने से पहले यह सुनिश्चित करले के वह आपके पास हो यदि बच्चा दूर है तो उसे नजदीक बुलाएं और हो सकें तो सुके पास जा कर ही उसे किसी प्रकार का काम बताएं ताकि इसका गहरा प्रभाव पड़े क्योकि दूर से काम बताने पर बच्चे पर इसका ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ता है।

बच्चे कहना नहीं मानते तो क्या करें?

आराम से सब कुछ समझाएं चिल्लाए ना

अगर आप अक्सर अपने बच्चे पर चिल्लाते रहते हैं तो इसका बुरा असर उसके स्वभाव पर पड़ता हैं और वह आपकी चिल्लाने या मारने की आदत की वजह से ढीठ हो जाते हैं और समझ नहीं पाते हैं कि आपकी कौनसी बात को गंभीरता से लेना है और किसे नहीं। इसीलिए आवश्यकता होने पर ही बच्चो से तेज आवाज़ में बात करना चाहिए।

कंधे पर हाथ रखने का फायदा

साइकोलॉजी के अनुसार अगर हम किसी के कंधे पर हाथ रख कर किसी प्रकार की बात कहते हैं तो उसका प्रभाव ज्यादा होता है और सामने वाला उसे गहराई से सुनता है। यदि आप अपने बच्चो के साथ भी ऐसा करेंगे तो इस बात की सम्भावना ज्यादा है कि वह आपकी बात मान लेंगे।

बच्चे कहना नहीं मानते तो क्या करें?

नकारात्मक शब्दों का प्रयोग न करें

जैसा की हम जानते हैं कि हमारे देश में हर पेरेंट्स अपने बच्चे को बचपन से ही कई कामो के लिए मना करते रहते हैं और बच्चो को पल पल पर यह सुनना पड़ता है कि ‘नहीं”, ”नो”, ”यह मत करो”, ”डोन्ट डू दिस। हमें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि बच्चा यदि कोई कार्य कर रहा है और उससे उसका या हमारा कोई नुकसान नहीं है तो उसे करने से रोकना नहीं चाहिए वह स्वयं ही थक कर रूक जाएगा। यदि बच्चे बचपन से ही यह सुनेंगे कि यह मत करो! ऐसा करना गलत है! तुम्हे मना किया न! तुम वहां नहीं जा सकते! तो इन शब्दों का असर उसके मस्तिष्क पर पड़ता है और बच्चा जिद्दी हो सकता है। इसीलिए यदि आप बच्चे को किसी काम के लिए मना करना चाहते हैं तो सकारात्मक रूप से भी मना कर सकते हैं जैसे – अगर आप कहना चाहते हैं कि “ग्लास तोड़ मत देना वरना बहुत मर पड़ेगी।” तो आप इसकी जगह कह सकते हैं कि “ग्लास को सही जगह पर रख दो वरना वह टूट सकता है और तुम्हे चोट लग सकती है।”

बच्चे में सकारात्मक विचारधारा लाने के लिए आपको इस तरह की बातो पर ध्यान देना होगा और आप पाएँगे कि आपका बच्चा आपका कहना सुनने लगा है। पेरेंट्स को बच्चे के बचपन से ही इन बातो का ध्यान रखना होता है ताकि बच्चे के थोड़े बड़े होने पर आने वाली जिद्दीपन की समस्या का सामना न करना पड़े क्योकि बच्चे एक उम्र के बाद किसी भी तरह की बात को समझने की कोशिश नहीं करते हैं तथा जिद्दी हो जाते हैं।

यदि आपके बच्चे भी आपका कहना नहीं मानते तो इन बातों का ध्यान दे।

  • जब भी आप अपने बच्चे से बात कर रहे हैं,पास बुला कर बात करे। बच्चो का मन बहुत की कोमल होता हैं। ऐसा करने बच्चों पर आपकी बात का ज्यादा प्रभाव पड़ेगा।
  • जब आप बच्चे से बात करे तो उनके कंधे पर हाथ रखे, इससे बच्चो को आपकी बातों पर भरोसे होगा। और वो आपकी बात ध्यान से सुनेंगे।
  • जब भी आप बच्चों से बात करे तो उनकी आँखों में देख कर बात करें। जब आप किसी की आँखों में देख कर बात करते हो तो सामने वाला व्यक्ति को आपकी बात महत्वपूर्ण लगती है।
  • कभी भी अपने बच्चों की तुलना किसी अन्य बच्चों से न करे। ऐसा करने से बच्चे को लगेगा की आप उससे ज्यादा किसी अन्य बच्चे को अधिक प्रेम करते हो। और उससे भावनात्मक रूप से ठेस पहुंचेगी।
  • कब आपका बच्चा कुछ अच्छा काम करे तो उसके काम की सराहना अवश्य करें। जिससे वह खुश हो जायेगा और आपकी बातों को महत्व देना शुरू कर देगा।
  • कुछ गलती करने पर बच्चे को भला बुरे कहने से बजाय उसको प्यार से समझाए। भला बुरा सुनाने पर बच्चा ज़िद्दी सुने लगता हैं और आपकी बातों को नज़रअंदाज करने लगता हैं।
  • बच्चे माता पिता और आसपास के वातावरण से ही सीखते हैं। बच्चो के सामने अच्छा व्यहार करे जिसे देख कर वे सिख ले।

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