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बगलामुखी मंत्र का अर्थ क्या है?

बगलामुखी देवी 10 महाविद्याओं में से एक के रूप में प्रतिष्ठित हैं। माँ बगलामुखी अपने उपासकों की समस्याओं को दूर करने के लिए गदा धारण करती हैं। बगलामुखी की पूजा करने से भक्तों का भ्रम और गलतफहमी दूर होती है। यह उनके जीवन को स्पष्ट नजरिया देती हैं। देवी बगलामुखी ब्रह्मांड की मां के सबसे शक्तिशाली रूपों में से एक हैं। इन देवी को उनकी असीमित क्षमताओं के कारण सभी बुराईयों का नाश करने वाला माना जाता है। इन देवी के बारे में यह मान्यता है कि वे “दुश्मनों को शक्तिहीन बनाने वाली देवी” हैं। इन्हें हिंदू धर्म की दस महाविद्या की आठवीं देवी का दर्जा दिया जाता है। इनमे दुश्मनों को निस्तब्ध कराने और स्थिर कराने की क्षमता है। इन्हे “पीतांबरी” के नाम से भी जाना जाता है। आइये आज हम आपको बताते हैं कि बगलामुखी मंत्र का अर्थ क्या है?

बगलामुखी मंत्र का अर्थ क्या है?

माता बगलामुखी मंत्र है:

|| ॐ ह्लीं बगलामुखि सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय जिह्वां कीलय बुद्धिं विनाशय ह्रीं ॐ स्वाहा ||

अर्थ – हे देवी, सभी नकारात्मक लोगों के कदमों को रोक दें, उनकी जुबान पर अंकुश लगाएं, उनकी जिह्वा पर लगाम लगा दो और उनके मस्तिष्क का दम घोंट दो।

माँ बगलामुखी की कहानी

पौराणिक कथाओं में बताया गया है कि एक बार सतयुग में महाविनाश उतपन्न करने वाला ब्रह्मांडीय तूफ़ान उतपन्न हुआ, जिससे सम्पूर्ण सृष्टि नष्ट होने लगी। इस आपदा से चारों ओर हाहाकार मच गया। इसके कारण सब जीव-निर्जीव अस्त-व्यस्त होने लगे। उस समय संसार की रक्षा करना असम्भव सा लग रहा था। यह तूफ़ान इतना हाहाकार मचा रहा था जिसे देखकर भगवान विष्णु भी चिंतित हो गए। इस समस्या से निजात पाने के लिए वह भगवान शिव को स्मरण करने लगे तब भगवान शिव ने उनसे कहा कि “शक्ति रूप के अतिरिक्त अन्य कोई इस विनाश को रोक नहीं सकता। अतः आप उनकी शरण में जाएं। इसके पश्चात भगवान विष्णु ने हरिद्रा सरोवर के निकट पहुंचकर कठोर तप किया और तप करने से देवी शक्ति प्रकट हुई। उनकी साधना से महात्रिपुरसुंदरी प्रसन्न हुई और सौराष्ट्र क्षेत्र की हरिद्रा झील में जलक्रीड़ा करती महापितांबरा स्वरूप देवी के ह्रदय से दिव्य तेज उतपन्न हुआ। इस तेज से ब्रह्मांडीय तूफ़ान थम गया। उस समय चतुर्दशी की रात्रि को देवी बगलामुखी प्रकट हुई। त्रैलोक्य स्तम्भिनी महाविद्या भगवती बगलामुखी ने प्रसन्न होकर भगवान विष्णु जी को इच्छित वर दिया और सृष्टि का विनाश रुक सका।

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