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क्या आपको भी कभी-कभी ऐसा लगता है कि जो अभी हो रहा है वह पहले भी हुआ है? जानिए इसका कारण

बहुत से लोगों से ऐसा सुनने के लिए मिलता हैं कि उन्हें ऐसा लगता हैं कि जो घटना उनके साथ अभी हुई हैं वह पहले भी हो चुकी हैं। पर वास्तव में ऐसा बिलकुल भी नहीं हुआ होता हैं, यह घटना पहली बार ही घटित होती हैं पर न जाने क्यों ऐसा अनुभव होता हैं कि ऐसा पहले भी को चुका है।

इस तरह कि घटनाएँ दिमाग से सम्बन्धित होती है जिसके कारण इस पर गंभीरता से बात करने के लिए अनुभवी व्यक्ति का साथ होना जरुर हैं। हमारे मस्तिष्क को अभी तक पुरी तरह नहीं समझा गया हैं पर फिर भी कुछ हद तक इसे समझने में हम कामयाब हो चुके हैं।

भविष्यकाल और भूतकाल को लेकर कई तरह की फिल्मे भी बन चुके हैं, जो काफी मजेदार भी होती हैं पर वास्तविकता से उनका कोई सम्बन्ध नहीं होता हैं। पर कई बार लोगों को असल जीवन में ऐसे अनुभव हो जाते हैं कि उनके मन में कई तरह के प्रश्न जन्म लेने लगते हैं आखिर ऐसा कैसे हो सकता हैं और क्या किसी और के साथ भी ऐसा होता है?

हम बात कर रहे हैं ऐसी घटना कि जिसमें व्यक्ति को ऐसा लगता हैं कि जो उसके साथ अभी हो रहा है ऐसा पहले भी हो चुका है, और वह खुद को ऐसी स्थिति में पाते हैं जिसे वह भूतकाल में भी कर चुके हैं, यह घटना बुरी भी हो सकती हैं और अच्छी भी या फिर किसी से मुलाक़ात की घटना हो सकती है, किसी तरह की नई जगह पर जाने की हो सकती है, या किसी भी तरह का कोई काम जैसे किताब पढना, खाने में कुछ बनाना आदि।

इस तरह की घटना को कहते हैं देजा वू

देजा वू का अनुभव 70 प्रतिशत से अधिक लोगों को होता है पर क्या किसी में यह घटना ज्यादा होती है तो किसी में बहुत ही कम । देजा वू शब्द का इस्तेमाल 1876 में फ़्रांसिसी फिलॉसफर एमिल बोइराक ने किया था। देजा वू किसी तरह की कोई बीमारी नहीं हैं वल्कि एक स्थिति है जिस कारण लोग यह अनुभव करते हैं कि यह घटना पहले भी हो चुकी है। मस्तिष्क के द्वारा काम करने की प्रक्रिया में थोड़ी सी ऊंच नीच हो जाती है जिस कारण ऐसा लगता है, यह बहुत ही सामान्य है किसी के साथ भी ऐसा हो सकता है और अधिकांश लोग इस तरह की घटना के होने के बाद यह सोचते हैं कि शायद इसका सम्बन्ध मेरे पिछले जन्म से है या फिर शायद में समय में आगे पीछे आ गया हु पर यह केवल एक फीलिंग हैं जो हमारे दिमाग के द्वारा ही उत्पन्न की गयी है।

ऐसा क्यों लगता हैं कि यह घटना पहले भी हो चुकी है?

हमारा दिमाग हर समय मेमोरी को स्टोर करने में लगा रहता है और पहले से ही हमारे दिमाग में बहुत से डाटा स्टोर है, दिमाग जब चल रही घटनाओ को समझने की कोशिश करता है तो कई बार वास्तविक घटना को कुछ इस तरह अनुभव कर लेता हैं कि यह पहले भी हो चुकी है। पहली बार में जब हमारा कॉन्शियस माइंड सिग्नल पर ध्यान नहीं दे पाता है इसके बाद दोबारा जब सिग्नल मिलता है तो देजा वू वाली फीलिंग आ सकती है। कर्र बार लोगों को पूर्वाभास भी होता हैं पर यह देजा वू नहीं हैं बल्कि इससे पूरा उलट है, इसमें व्यक्ति को आगे होने वाली घटना का पहले से अनुभव होने लगता हैं, यह भी हमारे पुराने अनुभवो के कारण होता है और हमारा मस्तिष्क पुरी मौजूदा जानकारी के आधार पर पूर्वाभास में साथ देता है।

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