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गर्भ में सबसे पहले किसका निर्माण होता है

आज के युग में विज्ञान ने बहुत तरक्की कर ली है। आज के डॉक्टर्स गर्भ में पल रहे बच्चे को भी दिखा सकते हैं। बहुत सी महिलाओं को गर्भावस्था के समय यह उत्सुकता रहती है की उनका बच्चा कितना बड़ा हो गया होगा। उसका माँ बनना उसके लिए जीवन का परमसुख होता है। माताओं को इतनी उत्सुकता रहती है की वे यह तक सोच लेते हैं की बच्चे के पैदा होने के बाद उसके पालन-पोषण तक के बारे में सोच लेती है। जिन माताओं को यह पता करना है की किस महीने में बच्चे के कौन से अंग आते है, वे बिलकुल सही जगह आये हैं। आज हम बताएंगे की गर्भ में सबसे पहले किसका निर्माण होता है?

गर्भ में सबसे पहले किसका निर्माण होता है?

आपको बता दें की पहले महीने में भ्रूण एक पानी भरी थैली में होता है, जिसकी लम्बाई 0.6 से.मी. होती है, यही समय होता है जिसमे शिशु की लंबाई और वजन में बहुत तेजी से बढ़ोतरी होती है। गर्भ में सबसे पहले बच्चे का दिल, रीढ़ की हड्डी, मस्तिष्क, नर्वस सिस्टम और प्लेसेंटा (नाल) का निर्माण होता है।

दूसरे महीने में शिशु की श्रवण और दृष्टि इंदिरा विकसित होने लग जाती है। इस महीने में शिशु की पलकें बंद रहती हैं। इस महीने में शिशु के नैन-नक्श और दिमाग का विकास होने लग जाता है, इसके साथ ही हाथ-पैर की उंगिलयां और नाख़ून, नाभिनाल बनती है, अमाशय, यकृत, गुर्दे भी बनने लग जाते हैं। इस महीने में माँ को गर्भाशय पेट में मुलायम गांठ की तरह महसूस होने लगता है। इस महीने शिशु 3 से.मी. और 1 ग्राम को होता है।

तीसरे महीने में हाथ, पंजे और पैरों की उंगलियां और नाखून विकसित हो रहे होते हैं, इसके साथ ही उसकी आँखें बन चुकी होती है और वह सर उठा सकता है। इसका आकर छोटा होने के कारण आप इसकी हल-चल इतनी महसूस नहीं कर सकते हैं।

चौथे महीने में शिशु की भौहें और पलक के बाल आने लगते हैं। शिशु की त्वचा वसायुक्त हो जाती है, इस महीने में बच्चे की लंबाई और वजह में वृद्धि होती है और वह लम्बाई में 18 से.मी. और वजन में 100 ग्राम का हो जाता है।

पांचवे महीने में एक सफेद चिकना स्त्राव शिशु की त्वचा की एम्नीओटिक पानी से सुरक्षा करता है, इस महीने शिशु की लंबाई लगभग 25 से 30 से.मी. और वजन करीब 200 से 450 ग्राम तक होता है।

छठे महीने में बच्चे की आखें पूरी तरह विकसित हो जाती हैं, शिशु पलके खोल और बंद कर सकता है साथ ही बच्चा रो सकता है और लात मार सकता है। उसे हिचकी भी आ सकती है। इस महीने शिशु की त्चचा झुर्री भरी और लाल रहती है।

सातवे महीने में बच्चे की धड़कन सुनी जा सकती है। इस महीने में वह अंगूठा भी चूसता है। इस समय शिशु की लंबाई तकरीबन 32-42 से.मी. तक होती है और वजन लगभग 1100 ग्राम से 1350 ग्राम होता है।

आठवें महीने में शिशु की हलचल साफ महसूस होती है। इस समय वह जागने-सोने की खास आदत के साथ सक्रिय रहता है। इस दौरान उसका वजन करीब 2000 – 2300 ग्राम है और लंबाई 41-45 से.मी होती है।

नवें महीने में बच्चा शांत रहता है। उसकी आँखें गहरे कबूतर रंग की होती हैं। जन्म के बाद शिशु का रंग बदलता है। इस महीने उसका सिर नीचे और पैर ऊपर की तरह होते हैं। शिशु की लंबाई 50 से.मी. और वजन 3200-3400 ग्राम के आस पास होता है।

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