गुरूवार को बृहस्पतिवार के नाम से भी जाना जाता है। यह दिन भगवान विष्णु को बहुत प्रिय है। यह माना जाता है की इस दिन व्रत रखने वाले पर भगवान विष्णु की असीम कृपा होती है। अपनी कुंडली में बृहस्पति के लिए लोग गुरूवार का व्रत रखते हैं। इस व्रत को शादी में कोई भी दुविधा न आए इसलिए भी रखा जाता है। यह लोगों का मानना है कि जो 16 गुरूवार का व्रत रखता है तथा उसका उद्यापन करता है, उसके जीवन से कई समस्याएं चली जाती हैं। अगर कोई इस व्रत को शुरू करना चाहते है तो पौष मास से शुरू करना अति उत्तम माना जाता है। पुष्य नक्षत्र में आया गुरूवार भी अति उत्तम माना जाता है। आज हम आपको बताएंगे कि गुरुवार के व्रत में दूध पीना चाहिए या नहीं ?
गुरुवार के व्रत में दूध पीना चाहिए या नहीं ?
गुरुवार के व्रत में दूध पिया जा सकता है। दूध एक ऐसी चीज है जो हर व्रत में स्वीकृत होती है। इसे पीने से कोई भी व्रत खंडित नहीं होता है। यह भी मान्यता है की गाय का दूध परत के समय अति उत्तम होता है। इसके अलावा आप दूध से बने पदार्थ का भी सेवन कर सकते हैं। साबूदाने की खीर एक उच्चतम चुनाव है।
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