खाटू श्याम भगवान की सनातन धर्म में काफी मान्यता है। यह कहा जाता है की इनके द्वार से कोई भी खाली हाथ वापस नहीं जाता है। इन्हे कलयुग का भगवान माना जाता है। इनके दर्शन के लिए लोग लाखों की तादात में आते हैं। आइये आज हम आपको बताते हैं की खाटू श्याम किसके पुत्र थे?
खाटू श्याम किसके पुत्र थे?
खाटू श्याम जी को पांडव पुत्र भीमसेन के पौत्र और घटोत्कच का पुत्र माना जाता है। इनका पूर्व जन्म का नाम बर्बरीक था। इन्हे कलयुग का भगवान माना जाता है। इनकी माता का नाम डिडिम्बा था। इनका जन्म कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि के दिन उनका जन्मोत्सव मनाया जाता है। ये दुनिया के सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर थे। इनके लिए केवल तीन बाण कौरवों और पांडवों की पूरी सेना को समाप्त करने के लिए काफी थे। इन्होने युद्ध के दौरान घोषणा में कहा था कि “मैं उस पक्ष से लडूंगा जो हार रहा होगा।” यह सुनकर श्रीकृष्ण भी चिंतित हो गए थे और बर्बरीक से उनका शीश दान में मांग लिया था।
बर्बरीक द्वारा महाभारत युद्ध के पहले भगवान श्रीकृष्ण को अपनी शीश काटकर दान में देने के कारण ही इन्हें शीश का दानी भी कहा जाता है। भगवान श्रीकृष्ण जानते थे कि अगर बर्बरीक ने युद्ध में हिस्सा लिया तो वह केवल एक तीर से पूरी सेना को समाप्त कर देगा और बिच युद्ध में ही हारने वाले की तरफ हो जायेगा। ऐसा न हो इसलिए उन्होंने दान में बर्बरीक से उसका शीश मांग लिया और साथ ही उसे वरदान भी दिया कि वह कलयुग में श्रीकृष्ण के नाम से पूजा जाएगा। यह बलिदान ही उनके लिए वरदान था।
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