HomeWomen and Societyकौन थी मीरा बाई व उनकी मृत्यु कैसे हुई?

कौन थी मीरा बाई व उनकी मृत्यु कैसे हुई?

भारतीय इतिहास में बहुत से राजा और रानियां हुए हैं, लेकिन मीरा बाई एक मात्र ऐसी रानी हैं जिनको दैवीय शक्ति से जोड़ा जाता है। मीराबाई रानी होने के साथ-साथ एक बहुत अच्छी कवयित्री भी थी। उन्होंने भक्ति रस की बहुत सी कविताएं लिखी हैं। वे श्री कृष्ण की परम भक्त थी। आज के इस लेख में हम आपको बताएंगे कि मीरा बाई कौन थी व उनसे जुड़े कुछ तथ्य साथ ही यह भी कि उनकी मृत्यु कैसे हुई थी? उनकी मृत्यु के बारे में बहुत से भ्रम हैं, अलग अलग लोगो के द्वारा अलग अलग बात कही गई है।

कौन थी मीरा बाई?

मीराबाई 16वी शताब्दी में जन्मी एक हिन्दू कवियत्री एवं कृष्ण भक्त थीं। उनका जन्म कुड़की जन्म कुडकी (राजस्थान के आधुनिक पाली जिले) में राठौर राजपूत शाही परिवार में हुआ था। मीराबाई का बचपन मेड़ता में व्यतीत हुआ। कृष्ण की प्रशंसा में उन्होंने कई रचनाएं की हैं। उनके बारे में जो भी उल्लेख या किवदंतियां मिलती हैं उनमें मीराबाई की श्री कृष्ण के प्रति भक्ति, सामाजिक और पारिवारिक परम्पराओं के प्रति निडरता और अवहेलना एवं भक्ति के कारण ससुराल वालों द्वारा सताये जाने का पता चलता है।

मीरा बाई के पूर्व जन्म की कथा

कहा जाता है कि मीराबाई पूर्व जन्म में वृंदावन की गोपियों में से एक थी। साथ ही साथ वे राधा जी की प्रिय सखियों में से एक थी। गोपी रूप में मीरा बाई श्री कृष्ण को बहुत ही प्रेम करने लगी थी किन्तु उनका विवाह किसी अन्य से साथ कर दिया गया। विवाह के पश्चात् भी उस गोपी के मन में श्री कृष्ण के प्रति लगाव कम ना हुआ और उन्होंने अपने प्राण त्याग दिए।

मीरा बाई का बचपन

बचपन में किसी की बारात देखते समय जब मीरा बाई ने अपनी माँ से पूछा ‘माँ, मेरा दूल्हा कहा हैं?’ तब मीरा बाई की माँ ने अपने घर में रखी हुई भगवान श्री कृष्ण की प्रतिमा दिखाते हुए कहा “मीरा, ये रहा तेरा दूल्हा !” अपनी माँ की ये बात मीरा बाई के मन में घर गयी, और उसी दिन से मीरा बाई ने श्री कृष्ण को पति के रूप में स्वीकार कर लिया।

मीरा बाई का विवाह

जब मीरा बाई विवाह योग्य हुई तब परिवार वाले मीराबाई का विवाह करने की सोचने लगे। श्री कृष्ण को पति रूप में स्वीकार करने के बाद भी जोधपुर की राजकुमारी मीरा बाई का विवाह मेवाड़ के राजकुमार भोजराज से तय हुआ। अपने परिवार की ख़ुशी के लिए मीरा बाई ने ये विवाह किया। विवाह के कुछ वर्ष बाद ही राजा भोजराज का स्वर्गवास हो गए और मीरा बाई विधवा हो गयी।

पति की मृत्यु के बाद मीरा बाई का जीवन

अपने पति राजा भोजराज के देहांत के बाद प्रथा के अनुसार मीरा बाई को भी सती होना था अर्थात अपने प्राण त्यागने थे, कित्नु मीरा बाई ने ये नहीं किया। मीरा बाई की कृष्ण भक्ति प्रतिदिन बढ़ती चली गयी। मीरा बाई अपना अधिकतम समय संतों के साथ श्री कृष्ण भक्ति में बिताने लगी। वे मंदिर में भगवान श्री कृष्ण की भक्ति में लीं हो कर घंटों नृत्य करती रहती थी।

विष भी न कर पाया कोई असर

पति की मृत्यु के बाद भी मीराबाई लोक-लाज छोड़ कर श्री कृष्ण की अटूट भक्ति में लगी रही। श्री कृष्ण प्रतिमा के सामने नृत्य करना भी उनकी भक्ति का अनोखा तरीका था। कित्नु मीरा बाई के ससुराल वालों को मीरा बाई का ऐसा नाचना पसंद नहीं आया उन्होंने कई बार मीराबाई को ज़हर दे कर मारने की कोशिश की, लेकिन भगवान् श्री कृष्ण की कृपा से मीराबाई पर उस ज़हर का कोई भी असर नहीं हुआ।

कैसे हुई मीराबाई की मृत्यु?

अब प्रश्न यह आता है की जब जहर भी कोई असर नहीं कर पाया तो मीराबाई की मृत्यु हुई कैसे? तो हम आपको बताते हैं, मीरा बाई की मृत्यु नहीं हुई थी अपितु उन्होंने अपने देह का त्याग किया था। उनके इस देह त्याग करने पर कई इतिहासकारों के बीच मदभेद हैं कुछ इतिहासकार कहते है की मीरा बाई ने वृन्दावन में अपने देह का त्याग किया था और कुछ इतिहासकार कहना हैं की उनका देह त्याग द्वारिका में हुआ। प्रचलित कथा के अनुसार श्री कृष्ण जन्माष्टमी के दिन मेरा बाई मंदिर में घंटो तक नाचती-गाती रही जिस कारण पूरा वातावरण दिव्य हो गया और उसी क्षण मीराबाई भगवान श्री कृष्णा की प्रतिमा में समां गयी।

यह भी पढ़ें :

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Must Read