यह मंत्र ‘श्रीमद् भगवतम्’ का प्रमुख मंत्र है इस मंत्र का वर्णन विष्णु पुराण में भी मिलता है। इस मंत्र को मुक्ति का मंत्र कहा जाता है। यह मंत्र मोक्ष प्राप्त करने के लिए एक आध्यात्मिक सूत्र के रूप में माना जाता है। यह एक प्रसिद्ध मंत्र माना जाता है तथा यह मंत्र भगवान विष्णु और श्रीकृष्ण दोनों का मंत्र है। ‘श्रीमद् भगवतम्’ के 12 अध्याय को इस मंत्र के 12 अक्षर के विस्तार के रूप में लिया गया है। इसमें दो परंपराएं हैं-तांत्रिक और पुराणिक। तांत्रिक पंरपराये में ऋषि प्रजापति आते है और पुराणिक पंरपरा में ऋषि नारदा जी आते है। इन दोनों का यह कहना है कि यह सर्वोच्च विष्णु मंत्र है। आइये आज हम आपको बताते हैं कि ओम नमो भगवते वासुदेवाय नमः मंत्र का अर्थ क्या है?
ओम नमो भगवते वासुदेवाय नमः मंत्र का अर्थ क्या है?
इस मंत्र का अर्थ निम्नलिखित रूप से विस्तार में बताया गया है :-
ओम – ओम यह ब्रंह्माडीय व लौकीक ध्वनि है।
नमो – अभिवादन व नमस्कार।
भगवते – शक्तिशाली, दयालु व जो दिव्य है।
वासुदेवाय नमः – वासु का अर्थ हैः सभी प्राणियों में जीवन और देवयः का अर्थ हैः ईश्वर। इसका मतलब है कि भगवान (जीवन/प्रकाश) जो सभी प्राणियों का जीवन है।
मंत्र का महत्व
इस मंत्र का जाप करने से ऊर्जा की प्राप्ति आसानी से हो जाती हैं। शारीरिक ऊर्जा, मानसिक शांति और आध्यात्मिक ऊर्जा प्राप्त करने के लिए इस मंत्र का जाप करना उत्तम होता है। ऊर्जा पाने के लिए आप इस मंत्र को दिन में दो बार प्रात और सायं काल 101 बार पढ़ सकते हैं।
इस मंत्र को पढ़ने से स्वर्ग के द्वार खुल जाते हैं। मोक्ष की प्राप्ति के लिए इसका जाप करना चाहिए। इसका जाप करने से पाप नष्ट हो जाते हैं। इसका जाप करने वाले लोगों का मन सदा शांत रहता है।
अगर आपके जीवन में कोई आर्य पूरा करने में बाधा आ रही है तो आप इस मंत्र का जाप करिये, ऐसा करने से आपके कार्य में आने वाली बढ़ाएं हट जाएंगी।
जिन लोगों की कुंडली में ग्रह शांति न हो उनके इस मंत्र का जाप करने से ग्रह शांत हो जाते हैं। अगर कोई व्यक्ति अपनी कुंडली में ग्रहों को शांत करना चाहता है तो वह इस मंत्र का जाप 1008 बार पूर्ण करे।
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