स्त्री और पुरुष समाज के दो महत्वपूर्ण स्तंभ हैं । स्त्री-पुरुष का एक दूसरे के प्रति आकर्षण सृष्टि का अटल सत्य है। सृष्टि की रचना ही स्त्री व पुरुष के मिलन पर निर्भर करती है। शास्त्रों के अनुसार यह कहना उचित होगा कि अगर महिला-पुरुष संगम सामाजिक, धाार्मिक और पारिवारिक मान्यताओं के अनुसार हो तो ये एक पवित्र घटनाक्रम है। लेकिन कुछ तिथियों और दिनों पर यह संगम अशुभ फल देने वाला मना जाता है। आइये शास्त्रों के अनुसार जानें किस दिन पति-पत्नी को एक दूसरे से दूर रहना चाहिए ।
शास्त्रों के अनुसार जानें किस दिन पति-पत्नी को एक दूसरे से दूर रहना चाहिए
विवाह के बाद स्त्री-पुरुष के बीच संबंधों को पूर्ण रूप से शुद्ध माना जाता है।ब्रह्मवैवर्तपुराण के अनुसार कुछ ऐसे दिन भी हैं जिस दिन पति-पत्नी को किसी भी रूप में शारीरिक संबंध स्थापित नहीं करने चाहिए।
नवरात्र या नवरात्री
नवरात्र के नौ दिन देवी मां की आराधना में लीन रहने के लिए होते हैं। इन दिनों में माँ की पूजा पाठ करना चाहिए। पुराणों में नवरात्र के दौरान स्त्री-पुरुष के बीच शारीरिक संबंध स्थापित होना निषेध बताया गया है।
अमावस्या
शास्त्रों में उल्लेख है कि अमावस्या के दिन पति-पत्नी को एक दूसरे से दूर रहना चाहिए अर्थात् शारीरिक संबंध बनाने से बचना चाहिए। ऐसा करने के पीछे मान्यता है कि इससे उनके वैवाहिक जीवन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
पूर्णिमा
पूर्णिमा की रात भी दंपती को एक दूसरे से अलग ही रहना चाहिए। बुरी शक्तियां इस दिन ऊर्जावान रहती हैं इसलिए इसका असर रिश्ते पर पड़ सकता है, इस वजह से इस दिन संबंध बनाने से बचना चाहिए।
संक्राति
पुराणों के अनुसार संक्रांति की तिथि पर भी पति-पत्नी को संबंध नहीं बनाने चाहिए। ऐसा करने से उनके रिश्ते पर इसका दुष्प्रभाव पड़ सकता है।
चतुर्थी-अष्टमी
पुराणों के अनुसार, माह की चतुर्थी और अष्टमी तिथि पर भी पति-पत्नी को एक-दूसरे से दूरी बनाए रखनी चाहिए। इन तिथियों को शारीरिक सम्बन्ध नहीं बनाना चाहिए।
श्राद्ध
श्राद्ध का समय पितरों को स्मरण करते हुए उनकी पूजा-अर्चना करने का होता है। इसलिए श्राद्ध या पितृ पक्ष के दौरान भी पति-पत्नी को संबंध बनाने के विषय में सोचना तक नहीं चाहिए।
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