HomeWomen and Societyतलाक के बाद पत्नी के अधिकार क्या-क्या हैं ?

तलाक के बाद पत्नी के अधिकार क्या-क्या हैं ?

भारत में हर चीज के लिए कानून बनाया गया है। इस कानून के अनुसार गुजारा भत्ता, दंड आदि चीजें की जाती है। इस कानून में पति-पत्नी के बीच हुई तकरार, अलगाव और फिर वह पड़ाव जब वे अलग हो जाते हैं यानि की तलाक के लिए भी नियम लागू हैं। इन नियमों में गुजारे भत्ते की भी चर्चा की जाती है। इस चीज को लेकर हर देश में नियम और कानून बनाये गए हैं। शादी एक पवित्र रिश्ता है परन्तु कुछ लोगों के बीच शादी के पश्चात ताल-मेल नहीं बैठता है। जिन लोगों के बीच ताल-मेल नहीं बैठता है वे तलाक करने का निर्णय ले लेते हैं। तलाक से पूर्व चाहे पति-पत्नी के बीच मानसिक या शारीरिक लगाव न हो फिर भी उसे पत्नी को गुजारा भत्ता देना होता है। आज हम आपको बताएंगे कि तलाक के बाद पत्नी के अधिकार क्या-क्या हैं ?

तलाक के बाद पत्नी के अधिकार क्या-क्या हैं ?

तलाक के बाद गुजारे भत्ते का अधिकार पति और पत्नी दोनों का होता है। यह उनकी परिस्थिति और वित्तीय स्थिति दोनों पर निर्भर करता है। इसके बारे में कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसिजर यानी CRPC में लिखा गया है। कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसिजर यानी CRPC की धारा 125 के तहत भरण-पोषण से जुड़े गुजारा भत्ता अधिकार की व्यवस्था की गई है। इसमें गुजारा भत्ता के प्रकार निम्नलिखित रूप से दर्शाये गए हैं :-

  1. सेपरेशन (Separation) गुजारा भत्ता – यह गुजारा भत्ता तब दिया जाता है जब कोई खुद का भरण-पोषण करने में समर्थ ना हो। ऐसी स्थिति को मद्दे नजर रखते हुवे सेपरेशन गुजारा भत्ता देना अनिवार्य हो जाता है। यह गुजारा भत्ता तलाक न होने की स्थिति में दिया जाता है। अगर दंपति में सुलह हो जाती है तो यह बंद हो जाता है। यह गुजारा भत्ता तलाक हो जाने की स्थिति में परमानेंट (Permanent) हो जाता है।
  2. परमानेंट (Permanent) गुजारा भत्ता – यह गुजारा भत्ता कई चीजों पर निर्भर करता है। जिनमे निम्नलिखित बातें शामिल हैं :-
  • पति-पत्नी का आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर न हो जाना।
  • अपना और अपने बच्चों के पालन-पोषण का तरीका न निकल पाना।
  • पति-पत्नी का पुनः विवाह न कर लेना।
  • जब प्राप्तकर्ता के पास शादी से पहले कोई काम करने का इतिहास नहीं हो तथा शादी के बाद कभी काम नहीं किया हो।

3. रेहाबिलिटिव (Rehabilitive) गुजारा भत्ता – इसकी कोई निर्धारित समाप्ति तिथि नहीं होती है। यह तब तक दिया जाता है जब तक की पति या पत्नी आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर नहीं हो जाते या स्वयं या अपने बच्चों का पालन-पोषण करने के लिए समर्थ नहीं हो जाते। यह सब परिस्थितियों पर निर्भर करता है और इसमें समय-समय पर परिवर्तन भी किये जाते हैं।

4. रैम्बुरसेमेन्ट (Reimbursement) गुजारा भत्ता – जब किसी पक्ष के लोगों ने दूसरे पक्ष के व्यक्ति को स्कूल या कॉलेज में पढ़ाने पर खर्च किया हो तो पहला पक्ष खर्च की गयी राशि या आधी राशि तक गुजारा भत्ता मांग सकता है।

5. लम्प-सम अलीमोनी (Lump-Sum Alimony) – इसके अनुसार शादी के दौरान जमा की गयी सम्पत्ति या सम्पत्ति के स्थान पर गुजारा भत्ता की पूरी रकम एक बार में मिल जाती है।

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